*पावर स्टंट. एसपी ले रहे थाना प्रभारियों की मीटिंग, जिले में चल रहा धड़ल्ले से अवैध कारोबार, बेलगाम हुए अवैध कारोबारी*

*पावर स्टंट. एसपी ले रहे थाना प्रभारियों की मीटिंग, जिले में चल रहा धड़ल्ले से अवैध कारोबार, बेलगाम हुए अवैध कारोबारी*

न्यूज़ - वामन साहू 8720093999
 
 बालोद /भले ही बालोद जिले के पुलिस कप्तान सदानंद कुमार हर माह क्राइम मीटिंग लेकर अपराधियों पर शिकंजा कसने की नसीहत थाना प्रभारियों को देते हो, लेकिन गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र में आने वाले आधा दर्जन थाना क्षेत्रों में अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। एसपी साहब की मंशा अपराधियों पर शिकंजा कसने की है लेकिन पुलिस अधीक्षक के सामने क्राइम मीटिंग में हर माह जी हजूरी कर अपना उल्लू सीधा कर लेते हैं और वापस अपने कार्य क्षेत्र में आने के बाद थाना प्रभारी फिर अपने पुराने अंदाज में नजर आते हैं। यानी जिस रूप में पहले उनके थाना क्षेत्र में सट्टा, जुआ, गांजा व अवैध शराब बिक्री का कारोबार चलता था वही हर महीने क्राइम मीटिंग के बाद भी बरकरार रहता है। 

अवैध शराब बना हादसों का सबब

पुलिस विभाग की ओर से बैनर पोस्टर जारी किए जाते हैं जिसमें अधिकांश सड़क हादसों का कारण शराब पीने की वजह बताई जाती है। वाकई पुलिस की मंशा लोगों को जागरूक करने की है ताकि शराब पीकर गाड़ी मत चलाएं और हादसा ना हो। लेकिन बालोद जिले के 708 गांव के मदिरा प्रेमियों के लिए दर्जनभर शराब दुकान कम ही पड़ता होगा। जिसे पूर्ति करने के लिए गांव गांव में शराब कोचियों अपना ठिकाना बना लिया है। जो 20 से 40 रुपए अधिक लेकर शराब को गांव में ही बेच देता है लेकिन कार्यवाही के नाम पर पुलिस के डायरी में महज कुछ ही लोग आते हैं यानी कार्यवाही को औपचारिकता कही जा सकती हैं यही कारण है कि गांव में 20 से 40 रुपए अधिक दे जाने से अगर उन्हें शराब मिल जा रहा है तो दिन रात शराब पीकर इधर-उधर मंडराते रहेंगे और दुर्घटना होना लाजमी है।

पैसा गया अंको में

दुनिया के 99 फ़ीसदी से अधिक लोगों को अपने पास रखे रकम से संतुष्टि नहीं है और उससे ज्यादा पाना चाहते हैं। यही कारण है कि अंको के जोड़ के दांव लगाकर पैसे बटोरने की का खेल वर्तमान समय में दौड़ने लगा है। बालोद जिले के सैकड़ों स्थानों में अंको के जरिये दाव लगाकर पैसे कमाने में पैसे गवाने का खेल हो रहा है। कानून की नज़र से अगर इस खेल को देखें तो यह गैरकानूनी है लेकिन गैरकानूनी होने के बावजूद जिले के थाना प्रभारियों की नजर से कैसे यह कानून के दायरे में आ रहा है या फिर गैर कानूनी होने के बावजूद कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है?