इनको यूं ही नहीं कहते 'धरती का भगवान', तारीफ करते थकेंगे नहीं आप

वामन साहू/हर्ष गुप्ता
अर्जुन्दा। कहते हैं डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं और भगवान के इसी अवतार के सम्मान प्रकट करने के लिए धरती पर एक जूलाई को डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। इस पर उनकी कार्यशैली जिसमें रात हो या दिन.. ड्यूटी पर रहते हुए ही नहीं, ड्यूटी के बाद भी..। मरीज कौन हैै.., गरीब है.. अमीर हैै, उसका मजहब क्या है। कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके कदम बढ़ चलते हैं। एक ही मकसद सिर्फ मरीज के दर्द को दूर करना। तभी तो लोग इनको धरती में भगवान का दूसरा रूप मानते हैं। समाज के लिए वह रोल मॉडल हैं। इस डॉक्टर्स डे पर बालोद जिला के अर्जुन्दा अस्पताल के डॉ. देवेंद्र कुमार बोरकर कुछ ऐसे है ।
ऐसे बहुत ही कम चिकित्सक होंगे जो मरीज के सिर पर हाथ रखते हो, उसका हाथ अपने हाथों में लेकर हालचाल पूछते हों। बीमारी और आराम के बारे में ऐसे पूछते हों, जैसे वह कोई परिवार का सदस्य हो। ऐसा करते दिखे तो समझ जाइए वह डॉ. गिरिराज नरायन अग्रवाल हैं। सामान्य परिवार में पले डॉ देवेंद्र कुमार बोरकर (एमबीबीएस एमडी) हर मरीज को अपने परिवार के सदस्य जैसा मानते हैं। डॉ. बोरकर ने सोचा भी न था कि चिकित्सक बनने के बाद उन्हें लोग इस तरह चाहेंगे। आज वह कई सामाजिक संगठनों से जुड़कर असहायों और जरूरतमंद गरीब का इलाज भी निशुल्क करने से पीछे नहीं हटते। शायद इसी वजह से इनके मरीज इनको भगवान से कम नहीं मानते।
जिला कोविड के प्रभारी के चिकित्सक के पद पर काम करने वाले डॉ. संजीव ग्लैड अपनी ड्यूटी निभाने के साथ-साथ सामाजिक सरोकार में भी पीछे नहीं हटते। डॉ ग्लैड चिकित्सक होने के नाते वह गंभीर मरीजों को देखना पड़ता है। उनकी माने तो कई बार उन्होंने ड्यूटी पर न होते हुए भी देर रात मरीजों की दिक्कत को देखते हुए उनका इलाज किया। राहत मिलने के बाद ही मरीज का हाल लेने के बाद ही घर जाते हैं ।