*बालोद जिला - एक ऐसा दहशरा.. जहां रावण नही बल्कि घोड़े की मूर्ति चढ़ाई जाती है... साल के 365 दिन मांगते है मनोकामना... बस्तर से जुड़ा बालोद का इतिहास... पढ़िए इस भव्य दहशरा को*

*बालोद जिला - एक ऐसा दहशरा.. जहां रावण नही बल्कि घोड़े की मूर्ति चढ़ाई जाती है... साल के 365 दिन मांगते है मनोकामना... बस्तर से जुड़ा बालोद का इतिहास... पढ़िए इस भव्य दहशरा को*

वामन साहू -आज तक जितने भी दशहरे सुने और देखे होंगे उसमें केवल रावण का पुतला ही दहन किया जाता है लेकिन बालोद जिले के डेंगरापार गांव में कुछ अलग अंदाज में विजयादशमी का पर्व मनाया गया। जहां दशहरे के पर्व पर घोड़े की मूर्ति की चढ़ाई गई। मान्यता है कि छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से लोग अपनी मनोकामना लेकर डेंगरापार गांव स्थित हरदेव लाल बाबा के दरबार पहुंचते हैं और मनोकामना पूरी होने पर नवरात्र के नवमी के दिन के बाद पहले मंगलवार को आयोजित होने वाले देव दशहरा में घोड़े की मूर्ति चढ़ाते हैं। मनोकामना मांगने का सिलसिला पूरे वर्ष भर चलता है लेकिन साल में एक बार देव दशहरा के दिन ही घोड़े की मूर्ति चढ़ाई जाती है।

जाने हरदेव लाल बाबा का इतिहास

दरअसल लगभग 100 वर्ष पहले हरदेव लाल बाबा अपने भाई बहन के साथ बस्तर से क्षेत्र में पहुंचे थे। जहां अपने भक्तों को तलाशने के दौरान डेंगरापार गांव के करण पाड़े से मिले। हरदेव लाल बाबा के साथ घोड़े हाथी का बड़ा समूह था इसलिए उसे उसके ठिकाने के रूप में जंगल को दे दिया गया। जिसके बाद हरदेव लाल बाबा ने अपने भक्तों को कहा था कि कोई भी व्यक्ति उस के दरबार में पहुंचता है और उसकी मनोकामना पूरी होती है तो घोड़े की एक मूर्ति चढ़ाएगा। नतीजा 100 साल बाद भी बरकरार है और आज भी हर साल देव दशहरा का आयोजन होता है और लोग अपनी मनोकामना पूरी होने पर सोने, चांदी, पीतल, मिट्टी और प्लास्टिक के घोड़े की मूर्तियां चढ़ाते हैं।

साल में दो बार होता है मेले का आयोजन

जनवरी माह में मेले के तौर पर हरदेव लाल बाबा के दरबार में वृहद आयोजन होता है जिसमें हजारों की संख्या में हरदेव लाल बाबा के भक्त उनके दरबार में पहुंचते हैं तो वही दूसरी बार देव दशहरा के रूप में मेले का आयोजन होता है जिसमें भक्त अपनी मनोकामना पूरी होने पर घोड़ा चढ़ाने के लिए हरदेव लाल बाबा के दरबार में पहुंचते हैं कुछ इसी तरह का आयोजन मंगलवार को हुआ जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न खोने से पहुंचे लगभग 300 से अधिक लोगों ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर घोड़े की मूर्तियां चढ़ाई।

साल के 365 दिन मांग सकते हैं मनोकामना

आपको बता दें कि हरदेव लाल बाबा के प्रति आस्था रखने वाले लोग साल के 365 दिन अपनी मनोकामना हरदेव लाल बाबा के पास रख सकते हैं लेकिन मनोकामना पूरी होने पर केवल देव दशहरा के दिन ही घोड़े की  मूर्ति चढ़ाते हैं। हालांकि यह परंपरा सदियों पुरानी है लेकिन आज भी लोग अपनी मनोकामना लेकर हरदेव लाल बाबा के दरबार में पहुंचते हैं और मनोकामना पूरी होने पर घोड़े की मूर्ति चढ़ाते हैं।